नमस्कार दोस्तों…. एक बार फिर से आपके बीच मै इस मंच पर चल रही प्रेम प्रतियोगिता के चलते…. प्रेम पर बक बक करने हाज़िर हूँ….
तो जनाब जागरण जंक्शन ने यह प्रतियोगिता क्या प्रारंभ की …. इस मंच पर सभी ब्लॉगर प्रेम के पुजारी नज़र आने लगे… हर पुरुष ब्लॉगर कान्हा और हर स्त्री ब्लॉगर राधा बन चुकी है…. और एक क्रान्तिकारी परिवर्तन इस प्रतियोगिता के चलते आया…. कई भूले बिसरे भटके ब्लॉगर पुरूस्कार की उम्मीद में फिर से मंच में कूद गए हैं…. वो तो शुक्र है जागरण जंक्शन वालों ने मंच की मजबूती का ध्यान रखा है नहीं तो सब धडाम हो जाते….
और मजा तो यह है कि अनेक ब्लॉगर अपनी लम्बे अंतराल के बाद इस उपस्थिति पर तर्कयुक्त बहाने प्रस्तुत करते नज़र आये…. अरे भाई आ गए हो तो स्वागत है…. बहाने क्यों बनाते हो…. ये बहाने ही तो आपके मन कि नब्ज़ बताते हैं…. खैर दोस्तों धन्यवाद जागरण जंक्शन का जिसने इन सब बिछड़ गयी गोपियों को एकत्र किया…. और अब ये सब गोपियाँ पहले से हाज़िर गोपियों के साथ मिलकर उद्धव को ताना मारने का कार्य बखूबी निभा रही हैं…. और जागरण जंक्शन का यह पावन मंच प्रेम कि बक बक झक झक से ओत प्रोत हुआ जा रहा है….
जहाँ जाओ प्रेम के ही झोंके…. भाई राजकमल जी इन झोंकों में आपको भी कोई मिल जाये… हम तो यही उम्मीद करेंगे. अब भाई पियूष भी भागने कि नहीं सोच रहे होंगे… मंच पर जब करोड़ों टन प्रेम कि वर्षा हो रही है तो कोई कैसे भाग सकता है.
तो दोस्तों… कुल मिला कर मंच पर छा रही खुमारी का मजा भी बहुत आ रहा है… कहीं प्रेम पर आध्यात्मिक लेख हैं…. तो कहीं प्रेम की विषद और गूढ़ परिभाषाएं …. कहीं प्रेम पर विरह व्यथा का प्रस्तुतीकरण है…. तो कहीं पड़ोसियों के प्रेम प्रसंगों को छापा जा रहा है (हो सकता है अपनी ही कहानी को पड़ोसियों के नाम से छापा जा रहा हो)..कहीं पद्य है तो कहीं गद्य…. कोई अपनी प्रेम की पाती को ही सार्वजनिक किये दे रहा है….. तो कोई अपनी ही प्रेम कथा छापे दे रहा है….
भाई ये किंग और क्वीन बनने के चक्कर में जो बन पड़े वो हथकंडे अपनाये जा रहे हैं… और तो और अपने वाहिद भाई गाना गा रहे हैं…. प्रतिक्रियाओं का दौर चल पड़ा है…. मुझ जैसे ब्लॉगर को भी आजकल थोक के भाव प्रतिक्रिया मिलने लगी है…. चलो भाई अपन भी बहती गंगा में हाथ धो लें… अब पियूष भाई को देख लो इतनी व्यस्तताओं के बावजूद भी एक लेख और ५० प्रतिक्रियाएं छाप ही देते हैं…. राजकमल भाई भी गंभीर नज़र आते हैं…. सभी ब्लोगर बदले बदले नज़र आ रहे हैं….
तो दोस्तों यह है प्रेम की ताकत… अच्छे अच्छों को बदल देती है…. यकीं न हो तो १५ फरवरी से इस मंच पर आकर देखना…. वही पुराने चावल शेष रहेंगे… और तो और जागरण जंक्शन को भी लगता है प्रेम की खुमारी चढ़ गयी है…. आजकल तो हर फटीचर से फटीचर ब्लॉग को भी फीचर्ड किये दे रहा है…. अरे भाई इस भागमभाग में अपनी तो निकल ही पड़ी सारे के सारे पोस्ट फीचर्ड हो गए… अपने को इतराने का मौका मिल गया भाई अपनी गली के सबसे बड़े लेखक जो हो गए हैं.
आदरणीय ब्लॉगर बंधुओं मेरी बात का बुरा मत मानियेगा…. समय की कमी की वजह से जिन दोस्तों के नाम नहीं ले सका हूँ वो भी एक से बढ़कर एक हैं…. कुछ एक के तो नाम भी याद आ रहे हैं लेकिन डर के मारे नहीं ले रहा हूँ…. आलराउंडर जी… चातक जी…. रौशनी जी…. निशा जी… खुराना जी… धर्मेश जी…. देहाती भाई…. अबोध जी…. निखिल भाई…. आकाश तिवारी जी…. अलका जी…. राजेंद्र जी…. अरविन्द जी….. और अन्य सभी दोस्तों को मेरी ओर से अच्छे विचारों को मंच पर उठाने के लिए साधुवाद… और किंग या क्वीन बनने के लिए शुभकामनायें….
दोस्तों हम सभी का प्रयास यही होना चाहिए की सब लोग इस बात को समझें की किसी दिन का महत्व नहीं है…. यह तो प्रतीक मात्र है…. महत्व यदि है तो प्रेम का है…. अतः वैलेंटाइन डे हो या ना हो यह महत्वपूर्ण नहीं है…. महत्वपूर्ण है प्रेम का होना…. रही बात प्रतियोगिता की… तो मित्रों किंग या क्वीन बनाना इस प्रतियोगिता का उदेश्य नहीं है… इसका उद्देश्य है सभी ब्लोग्गर्स का एक ही विषय पर चर्चा करना जिससे इस प्रेम विषय पर सार्थक चर्चा हो सके…. विचारों का मंथन हो सके…. और परिणाम रूपी अमृत प्राप्त हो सके…. इस सम्बन्ध में मै यही कहना चाहता हूँ की जागरण जंक्शन की यह मुहीम मुझे सफल होती प्रतीत हो रही है…. और इस हेतु जागरण जंक्शन बधाई के पात्र हैं…. साथ ही साथ आप सभी ब्लॉगर मित्र भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस स्वस्थ स्पर्धा में बढ़ चढ़ कर प्रतिभाग किया है और कर रहे हैं…. यह बहुत जरुरी है…. की हम आपने विचारों को मंच पर रखें…. इससे ही किसी दिशा में जाने में मदद मिलेगी…. आप सभी को मेरी और से पुनश्च शुभकामनायें …..
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments