साहस पर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है और साहस का अभाव होने पर ही भय, कायरता मन को आक्रांत करती है। साहस के परिपक्व होने पर वही व्यक्ति, जो पहले अपने आपको कायर समझा जाता था, शौर्य एवं पराक्रम के कारनामें कर लोगों को चकित कर देता है। साहस मनुष्य के जीवन को जीवंत बनाता है।
इससे यह प्रमाणित होता है कि मनुष्य के स्वभाव में आमूल परिवर्तन करना संभव है। जब आप भय, संदेह निराशा से ग्रस्त मनःस्थिति में हों, तब आप सही निर्णय नहीं कर सकते हैं। स्वस्थ मस्तिष्क सही निर्णय लेने में सहायक होता है।
उचित एवं ठोस निर्णय केवल उसी समय किया जा सकता है, जब मस्तिष्क सही कार्यकारी स्थिति में हो, वह निराशा, क्रोध, भय, द्वेष से घिरकर अंधकारमय न हो।
भय तथा चिन्ताग्रस्त मनःस्थिति में कभी किसी महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय नहीं करना चाहिए। जब मन निर्मल, सन्तुलित, शांत हो उस समय जो योजनाएं बनाई जाएं- केवल उन्हीं को क्रियान्वित करने का प्रयत्न करें।
भय, क्रोध आदि के आवेग होने पर मानसिक शक्तियां बिखर जाती हैं। उस समय मन एकाग्र न रहने के कारण निर्णय गलत होते हैं। अतः साहसी बने….. अपने मन को एकाग्र करें…. और शांत चित्त से निर्णय लें।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments